सफर काट लो
सफर काट लो अकेले
ये तो है सफर के मेले
नहीं आएगा साथ कोई अंत तक
लेलो सांस बेफिक्री से उम्र तक।
दोस्त अपनी जगह पर है
कोई है साथ तो वजह है
किसी को पैसे का गुरुर
तो कोई रहता उस से मजबूर।
देखा है मैंने आते जाते
कोई तो बीच मे ही छोड़ जाते
कोई बातोमे ही अपना इरादा जताते
हमारे दिलको ओर जलाते।
हमने भी रास्ता निकाल लिया है
दीवारों से नाता जोड़ लिया है
हमारे दोष और गुण को बोल देते है
स्वगत बोल के स्वीकार कर लेते है।
जीवन की यही विशेषता है
उसी को समझना ही नम्रता है
कुछ ऐसे ही और दिन निकल जाएंगे
हम अपने आपको जरूर समझ पाएंगे।
करना प्रभु से एक ही याचना
फिर धीरे से उसके बारे में सोचना
आपने उसके आगे सर झुकाया है
बस अब और कोई बकाया नहीं है
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आपने उसके आगे सर झुकाया है बस अब और कोई बकाया नहीं है