सही चुनो, , , Sahi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सही चुनो, , , Sahi

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सही चुनो
शनिवार, २७ अक्टूबर २०१८

सही चुनो या गलत रास्ता
पड़ता है अपनों से ही वास्ता
हालत हो जाती है खस्ता
पर क्या करें यही तो है शिरस्ता?

अच्छा कर्म करना अपना फर्ज है
हमारे पर इंसानियत का कर्ज है
पर इसी बात को कोई भी नहीं मानता है
आखिर में उसीको ही भुगतना पड़ता है।

कहते है सही रास्ते का मिलता अच्छा फल
और बुरे का होता बुरा हाल
अंतिम समय आनेपर सब छोड़ जाते है
मुंह छुपाकर इधरउधर दौड़ जाते है।

हम ने ये तो जरूर देखा है
सब का यही लेखाजोखा है
एक दिन सब को यहां से जाना है
पीछे अपनी अच्छाइयां को छोड़ जाता है।

कहते है "नेकी कर और कुए में डाल "
काम करने के बाद जा उसे भूल
इसी में ही सबकी भलाई है
बुरे की हमेशा हुई है जगहसाई।

हसमुख मेहता

सही चुनो, , , Sahi
Saturday, October 27, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 27 October 2018

कहते है नेकी कर और कुए में डाल काम करने के बाद जा उसे भूल इसी में ही सबकी भलाई है बुरे की हमेशा हुई है जगहसाई। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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