समय आ गया है Samay Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

समय आ गया है Samay

समय आ गया है

हमें देखना है
हमारे लिए क्या अच्छा है
देश हमारे ऊपर है या धर्म
क्या है उनके कहने का मर्म?

आज हम मुबारकबाद दे दे
'ईश्वर सम्मति दे ' ऐसा वरदान दे दे
यदि नहीं मानते है तो बलि चढ़ा दे
बाकी बेक़सूरो को मुक्ति दिला दे।

जो अपना अधिकारों को नहीं समझते
सिर्फ गोली की भाषा को बोलते
हम उसे क्या समझे? क्या कुछ साझगांठ है?
भारतवर्ष सिर्फ एक कर्मठ देश है।

कुछ लोग हजारो करोड़ डकारकर बैठे है
बेनामी संपत्ति पर अधिकार करे हुए है।
बैंको को खोखला कर दिया है
वैसे लोग सिर्फ बोखला गए है।

हम काम नहीं करना चाहते
ज्यादा राहत और मुफ्त में चाहते
गरीब अपना नसीब कहाँ ढूंढे?
हम इस बात को जरूर सोचे।

हम ने दूध सड़कों पर डाल दिया
किसी गरीब या जानवर को नहीं पिलाया
हमने आलू, टमाटर को सडकपर पिलवा दिया
आज दोनों चिजे नहीं मिल रही और आपने पाप कर दिया।

आप चाहते है अच्छे दाम मिले
जरूर मिले पर लोगों को साथ ले ले
आपकी हरकत उन्हे मायूस कर रही है
'किसान, मजदुर आप भाग्य है' इस हक़ का अनाड़ज़र कर रही है।

कहावत है ' जेब में है तो बहार आएगा'
जितना नुक्सान करोगे उतनी बर्बादी लाएगा
मेहनत करने पर भी खाना नहीं मिलेगा
बच्चा बिना सवलियत मोत को भेटेगा।

देश की प्रगति
बढ़ाती है गति
ना करो नुक्सान करो इतना की आपका खाना छीन जाय
आपकी हस्ती को एक खतरा पैदा हो जाय।

देश को बड़ा खतरा अपनों से है
जयचंद यहाँ ही बैठे है
पूरा अपना कुनबा गरीबो को लूट रहा है
देश बड़ी लाचारी से देख रहा है।

समय आ गया है चिंगारी लगाने का!
मिटा दो हस्ती गददारों की और लगालो पता खजाने ने का
इसपर आपका अधिकार है

समय आ गया है Samay
Monday, August 14, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 14 August 2017

जो अपना अधिकारों को नहीं समझते सिर्फ गोली की भाषा को बोलते हम उसे क्या समझे? क्या कुछ साझगांठ है? भारतवर्ष सिर्फ एक कर्मठ देश है।

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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