सामना करना.. Samnaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सामना करना.. Samnaa

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सामना करना
शुक्रवार, १२ अप्रैल २०१९

अलग अलग हैसब की राहें
देश खड़ा रहा चौराहे
अलग अलग बाते कर रहे सब अपने काज
पता नहीं क्या छुपा है राज?

वतन के लिए सब को है प्यार
सह रहे है दुश्मन की वार
सरहद पर कुर्बान हो जाते
वतन की रक्षा करते करते शहीद हो जाते।

इस धरती का हमें है गुमान
बचाके रखते है हमारा सन्मान
देशवासियों को लगी रहती फ़िकर
रक्षा करते चौकन्ने होकर।

जब देश में ही हो ज्यादा गद्दार
तो दुश्मन पाते खुल्ले द्वार
मिल जाती उनको देश की खबर
हम बेचैन रहते और ना सो पाते पलभर।

यहीं छिपा है दुश्मन का मन
खतरनाक इरादा और मन में मेल
बाते करे शांति की और भाईचारी की
पर कभी ना बोले बात सहारा की।

हमें तो रहना है यहीं
कभी उनकी बातो में आना नहीं
अपना मन मक्कम बनाना
समय आने पर सामना करना

हसमुख मेहता

सामना करना.. Samnaa
Friday, April 12, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 April 2019

DrNavin Kumar Upadhyay Hide or report this 1 Like · Reply · 1h

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Mehta Hasmukh Amathalal 12 April 2019

S.r. Chandrslekha S.r. Chandrslekha Very nice 1 Hide or report this Like · Reply · 5m

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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