सन्देश लेकर
वो निकलता है प्रेम का सन्देश लेकर
कभी छिपता तो कभी खुल्ले में आ कर
अपनी शीतलता की छाव बिखरेते हुए
सभी को सुख सन्देश देते हुए।
उसका निकलना ही मधुरता की निशानी
कितनी निखालसता और फिर भी निराभिमानी
प्रेम का सन्देश हर चांदनी किरण के साथ
'निभाओ मेरे संगसँग और फैलाओ हाथ।
आपका रात को निकलना बेमानी है
आपके बीचार तूफानी है
किसी को अपनी हवस का शीकार बनाना है
उसको अँधेरा अर्पित करके अपने को हीरो बनाना है।
हम ऐसी अंधेरे रात में भी ऐसा खेल नहीं होने देते
छुपा देते है आँचल को जिसे आप कुछ कर बही पाते
उसको आँसुओ में गमगीन हम देख नहीं सकते
इसलिए अँधेरी रात को अपना दोस्त बना लेते है।
मत करना कोई गुस्ताखी हमारा नाम लेकर
हम नहीं पाते ख़ुशी साथ किसी अत्याचारी को देकर
इसलिए आपका रात को बाहर निकलना कोई शुभ संकेत नहीं
हमारा निकला बस एक प्रेम की निशानी है सही।
उसका निकलना ही मधुरता की निशानी कितनी निखालसता और फिर भी निराभिमानी
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welcome rujpal bhandari Unlike · Reply · 1 · Just now