संसार का यही नियम है
वो दिन ओर थे
जब हम मिला करते थे
हालचाल जरूर पूछ लेते थे
'फिर कब मिलेंगे' वो भी जान ही लेते थे।
उष्मा भरा एक वातावरण होता था
अच्छी चीज का अनुकरण होता था
पूछ ने मे भी एक तमीज़ होती थी
अच्छा खबरअंतर जान ने की एक ख्वाइश हुआ करती थी।
अब वो बात नहीं रह गई है
पेड़ के पत्ते पिले पड गए है
बस मानो एक ऊँची चीज़ खड़ी है
अपनी आन में अडी हुई है।
पता नहीं आजकल अभिमान ज्यादा दिखाई देता है
पैसे का या फिर खूबसूरती का मानो मिजाज दिखाई देता है
मुझे खुशनुमा वातावरण में भी भय नजर आता है
जहां दयालु नजर वहां प्रलय ही सामने आता है।
'भाईसाब कैसे है? घर में सब कैसे हैं?
पूछा करते थे दिल को संतोष दिलाने की सब कुछ कैसे चल रहा है
'बस ठीक ही है 'जवाब मिलता है मानो सुखा पड़ा हो
जबान ऐसे तोतला रही है मानो ताला पड़ा हो।
सब के सर पर मानो बोझ सा लदा है
मानो मार लगी है ओर विपदा का भार है
कुछ नहीं कर पाने का गम है
फिर भी मन में तो हम ही हम है।
कलियुग का असर तो बहुत पहले से ही था
पर उसका जादू हमपर अभी चल रहा था
दोस्त दुश्मन बने जा रहे थे
ओर साथी एक एक कर छोडे जा रहे थे।
हम ने प्रेम की दुहाई नहीं लगाईं
बस मन ही मन अपनी चाबी लगाईं
ताला किया बंध ओर तालाब में फैंक दी चाबी
'संसार का यही नियम है' सोचकर भर दी हामी।
कलियुग का असर तो बहुत पहले से ही था पर उसका जादू हमपर अभी चल रहा था दोस्त दुश्मन बने जा रहे थे ओर साथी एक एक कर छोडे जा रहे थे। हम ने प्रेम की दुहाई नहीं लगाईं बस मन ही मन अपनी चाबी लगाईं ताला किया बंध ओर तालाब में फैंक दी चाबी संसार का यही नियम है सोचकर भर दी हामी।
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Santosh Kumar Sharma Bahut sundar Hasmukh ji Unlike · Reply · 1 · 17 mins