सपने सजाना Sapne Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सपने सजाना Sapne

सपने सजाना

सपने सजाना गलत नहीं
प्रभु से मांगना मंन्नत सही
भरोसा रखो कायम
काम हो जाएगा तमाम।

बादशाह बनो या रंक
पर खूब बनाओ अंक
जरूर इसका अर्थ निकलेगा
जीवन में पक्का निखार लाएगा।

मंझिल सामने ही है
मकसद भी अपने ही है
बस होश में रहकर उसकी तामील हो
हीरा तराश ने के लिए खुद ही काबील हो।

कामयाबी कदम छुएगी
अपने को छुपा नहीं पाएगी
अंत में उसे झुकना ही होगा
आपकी शरण में आना ही होगा।

अब रखो अपने में सयम
ये नहीं रहेगी कायम
यदि आप बहक जाएंगे उसके कुप्रभाव में
तो समझो आप नहीं रहेंगे आपे में कायमी बदलाव से।

करो मेहनत और छू लो बुलंदी
रखो साखो सब चीज़े अपने पास चुनंदी
किसी के पास ना हो इतना खजाना
बस अपने ही राग में फिर बंसी बजाना।

सपने सजाना Sapne
Sunday, May 28, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

Mohamđ ALi thanks and nice lines Like · Reply · 1 · 6 hrs

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welcome mohamad ali Like · Reply · 1 · Just now

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welcome pelonite molefe Like · Reply · 1 · Just now

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welcome DrNavin Kumar Upadhyay Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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