सर झुकाकर कलाम
जिंदगी हमसे रूठी हुई है
मुँह फेर के बैठी हुई है
फिर भी हम उससे खफा नहीं है
जीवन का सही दस्तूर यही है।
हम जरूर पुछेंगे
और रहत की सांस लेंगे
हमारे साथ ही ऐसा क्यों किया?
हमने तो दिलोजान से प्यार ही किया।
हमारे किस्मत नहीं था तो क्या हुआ?
इस बात ने हमें कभी विचलित नहीं किया
हम भी शान से सर उठाकर जी रहे है
पर किसी चीज़ का फसोस नहीं कर रहे है।
इंसानी झज्बा है
हमभी दिलरुबा है
दिल दे बैठे अनजाने से
अब दिलके रूठे रहने से क्या?
समझौता तो करना ही पडेगा
जिंदगी लम्बी है काटना ही पडेगा
फिर क्यों उसे रोकर गुजारे!
आसमान मेंअकेले तो रहते है तारे।
जिंदगी से हम अनजान है
फिर उसका सन्मान है
दिल में कभी गीला नहीं किया
बस हमेशा सर झुकाकर कलाम किया।
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जिंदगी से हम अनजान है फिर उसका सन्मान है दिल में कभी गीला नहीं किया बस हमेशा सर झुकाकर कलाम किया।