सरल और सामान्य Saral Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सरल और सामान्य Saral

सरल और सामान्य

जीवन है बहुत कठिन यात्रा
परिश्रम योग्य और अधीन विधाता
सब को योग्य और जीवनी का अधिकार
हम सब के ऊपर है एकाधिकार।

यध्यपि मौत निश्चित है
पर चिंतित नहीं होना है
करना वोही है
पाना वोहो जो मनमोही है।

विचारधारा अलग अलग़ है
कोई निर्मोही तो कोई रागी है
राग अलापने का ढंग भी अलग है
पर सुर और संगम एक ही है।

कहके देखो में ईश्वर को नहीं मानता
में अपनी मर्जीका मालिक और वोही करता
जो मेरे दिल को भाता
पर गिनता सबको भ्राता।

मुझे चिंतित नहीं होना
बस उपरवाले के हाथ में छोड़ देना
बंदगी करता रहूं और फॉर जीता रहूं
कल के बारेमे अधिक क्यों सोचता रहूं?


गारंटी आपने देना है
अपने दोनों हाथ फैलाके गिड़गिड़ाना है
उसके चरणों में समर्पित बहुत कुछ करना है
देखो जीवन को हमने सरल और सामान्य बनाना है।

सरल और सामान्य  Saral
Sunday, August 20, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2017

गारंटी आपने देना है अपने दोनों हाथ फैलाके गिड़गिड़ाना है उसके चरणों में समर्पित बहुत कुछ करना है देखो जीवन को हमने सरल और सामान्य बनाना है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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