जीवन है एक संग्राम
गुरूवार, १६ मई २०१९
जीवन है एक संग्राम
लगालो अपनी ताकत तमाम
किसी चीज की खातरी नहीं
और अपनी कोशिश भी आखरी नहीं।
गिर जाना, फिर उठ जाना
दुगुने जोर से ताकत को आजमाना
याद रखता नहीं ये ज़माना
यदि आपने मैदान को है छोड़ जाना।
यहाँ कायरो की कदर नहीं
बेक़सूरवारों की सुनवाई नहीं
बस जूठे का यही बोलबाला
यहाँ नहीं है कोई सुननेवाला।
भूल हो गई है तो पछताना
तहे दिल से माफ़ी का मांग लेना
पुनरावर्तन को गुंजाइश नहीं
सम्हलके चलना वोहो फर्ज यहीं।
जिन्दा ही जिंदादिली का नाम है
जो डर गया उसका नाम मिट गया
जो बढ़ गया आगे वो सफल हो लिया
नाम अपना दर्ज करा गया।
हसमुख मेहता
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