शब्द जुड़ गए Shabd Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

शब्द जुड़ गए Shabd

शब्द जुड़ गए

शब्द नहीं चूकते अपनी मर्यादा
ये है उनका वादा
उनके बाण शब्दभेदी है
यही उनकी कसौटी है।

किसीकी भी आँख में आंसू ला दे
हँसते हुए इंसान को रुला दे
उसके चेहरे का रंग एकदम से उड़ा दे
बुझी हुई आँख में चमक सी ला दे।

शब्द में होती है अदब
ज्यादा नजदीकी और बिना मतलब
उसका सम्बन्ध गहरा और मौक़ा सुनहरा
आपके चेहरे को बना दे हराहरा।

कभी नहीं गलत इस्तेमाल हुआ
आदमी इससे मालामाल हुआ
पहचान बढ़ी और सम्बन्ध में तेजी आई
दो परिवार एक हुए और बजी शहनाई।

हुआ आदानप्रदान और रहा शब्द का मान
दोनों की बढ़ी साख और मिला सन्मान
शब्द जुड़ गए और परिवार हुए संपन्न
एक ही डकार खानेके बाद अन्न।

शब्द जुड़ गए  Shabd
Saturday, August 12, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 August 2017

welcomem rupal bhandari Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 12 August 2017

शब्द जुड़ गए शब्द नहीं चूकते अपनी मर्यादा ये है उनका वादा उनके बाण शब्दभेदी है यही उनकी कसौटी है। किसीकी भी आँख में आंसू ला दे हँसते हुए इंसान को रुला दे उसके चेहरे का रंग एकदम से उड़ा दे बुझी हुई आँख में चमक सी ला दे। शब्द में होती है अदब हुआ आदानप्रदान और रहा शब्द का मान दोनों की बढ़ी साख और मिला सन्मान शब्द जुड़ गए और परिवार हुए संपन्न एक ही डकार खानेके बाद अन्न।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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