शांति
मंगलवार, २८ नवम्बर २०१८
कई बार देखा गया है
और पता भी चल जाता है
सही आदमी को सताया जाता है
बदनाम आदमी मौज-मस्ती करता है।
यही दुनिया का दस्तूर है
सज्जन को सज्ज देने के लिए आतुर है
बात-बात मणिचा दिखाने की कोशिश होती है
जूठ पकडे जानेपरमगर के आंसू रोती है।
सब चाहते है जीवन में शान्ति बनी रहे
सभी संकट से बचे रहे
पर कोई कोई बातें उनके बस की बात नहीं
जानते है सब की, भुगतना तो है यही।
कई लोग अपनेआपको अलग कर देते है
अच्छे कामों अपनेरूख़ को साफ़ कर लेते है
सीधा मना कर देते है यदि कोई आशंका हो जाय
उनको ऐसी बातें कभी ना सुहाय।
जीवन के रंग भी अजीब है
कोई अमिर तो कोई गरीब है
कुदरत ही गलत करने को प्रेरित करती है
यदि हो सब बराबर तोबुरा करने जी बात कहाँ से आती है।
हसमुख मेहता
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जीवन के रंग भी अजीब है कोई अमिर तो कोई गरीब है कुदरत ही गलत करने को प्रेरित करती है यदि हो सब बराबर तोबुरा करने जी बात कहाँ से आती है। हसमुख मेहता