शरीर रहेगा नश्वर
गुरूवार, २ अगस्त २०१८
आ जा, आ जा, आ भी जा
सपनो में से निकल के आजा
मेरे सपनों को संजोदे
रहने का साथ, वादा कर दे।
जीवन है अमूल्य
हीरे-जवाहारात से अधिक् मूल्य
तुम ना समजो इसे रेतके तुल्य
इस के बिना जीवन है शून्य।
रहेंगे साथ साथ
जो मिलेगा जीवन में संगाथ
जीवन की धुरा को समाल लेंगे
सब को अपना बनाकर रखेंगे।
जो ना कह सको"हां"मुँहपर
लिख के दे देना कागजपर
हम पढ़ लेंगे हर अक्षर
जान जाएंगे कहा है ईश्वर।
शरीर रहेगा नश्वर
आत्मा हो जाएगी अमर
साथ कहेगा जीवनभर
जीना नहीं होगा कभी भी दूभर।
ना रहो अब दूर
परी हो मनकी और हूर
पर में क्यों लग रहा हूँ चिंतातुर
मन क्यों हो रहा उतावला और आतुर?
हसमुख अमथालाल मेहता
welcome rajan yadav 1 Manage Like · Reply · 1m · Edited
S.r. Chandrslekha Excellent write. 1 Manage Like · Reply · 1m
welcome Sandeep Bajaj 1 mutual friend 1 Manage Like · Reply · 1m
Roma Kaur Thanks....god bless u for such good writing 1 Manage Like · Reply · 8h
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
ना रहो अब दूर परी हो मनकी और हूर पर में क्यों लग रहा हूँ चिंतातुर मन क्यों हो रहा उतावला और आतुर? हसमुख अमथालाल मेहता