शर्माना है Sharmaana Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

शर्माना है Sharmaana

शर्माना है

उनका गहना
बड़े हसीन से होते है
हमेशा झूलते रहते है।

हवा का झोंका
देता है हंसनेका मौक़ा
दूर से देते है शांति का सन्देश
फिर किसको नहीं रहता कोई अंदेश।

फूलों का बार बार मुस्कुराना
सर हिला हिला के अभिवादन करना
अपनी खुशी का इजहार करना
और लोगों को खुलकर दिखाना।

यह सब कुदरत का नजारा है
सिर्फ एक गर्भित इशारा है
सुख चेन से रहोगे तो फायदे में रहोगे
बाकी अपनी कबर खुद ही खोदोगे।

जोश में होश नहीं खोना
अपनी खूबसूरती का अभिमान नहीं करना
दूरसे ही सब को अपना आभास करना
और हमने भी उनका आदर करना।

शर्माना है  Sharmaana
Friday, July 28, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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जोश में होश नहीं खोना अपनी खूबसूरती का अभिमान नहीं करना दूरसे ही सब को अपना आभास करना और हमने भी उनका आदर करना।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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