सिर्फ इन्तेजार
ना कोई रोक पायेगा हमें कहने के लिए
आज अन्धकार से उजाले में जाने के लिए
निश्चय किया है आज नये साल के उपलक्ष्य में
हर इंसान को ढाल ना है इसी परिपेक्ष्य में।
नए साल का यही है पैगाम
ना रहे कोई इसी से अनजान
हम वैसे ही गुजार चुके है कई साल!
नहीं होने देंगे आगे से और बेहाल।
किसी का भला ना कर सके तो भी को बात बही
बीत चूका है बहुत समय अब आगे से कोई रात नही
नहीं सोचेंगे जगकर उन बीते पिछले पलों को
बस यही याद रखेंगे 'क्या करना है अब आगे को'?
टाटा, बिरला हम है ही नहीं
राजा भोज और रंक थे सही
हम ये सोचकर बारबार दुखी नहीं रह सकते
कोई बढ़ रहा है आगे तो उसे नहीं रोकते।
में तो पा लूंगा अपनी मंज़िल
नहो होने दूंगा जिंदगी बोझिल
कोई कुछ भी कहे, मुझे बढ़ना है आगे
जिसके जो सोचना है सोचे ओर अपना रंग आलापे।
किस्मत में लिखा है खाना ठोकर
तो फिर जीवन हो जाएगा बेकार
ना अपनों से मिले गा प्यार
ओर हम रह जाएगे करते सिर्फ इन्तेजार।
welcoem reema singh Unlike · Reply · 1 · Just now · Edited
किस्मत में लिखा है खाना ठोकर तो फिर जीवन हो जाएगा बेकार ना अपनों से मिले गा प्यार ओर हम रह जाएगे करते सिर्फ इन्तेजार।
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govidnd singh rao Unlike · Reply · 1 · Just now