सुन्दर प्रशाशन Sundar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सुन्दर प्रशाशन Sundar

सुन्दर प्रशाशन

हम हारने नहीं देंगे
जब आप ढींगे मारना छोड़ देंगे
अन्ना का हर शब्द मूर्तिमंत करेंगे।
हर दागी को अपने जीवन से दूर रखेंगे।

हम जानते है
आदमी महत्वाकांक्षी होता है
वो पहले अपने इर्दगिर्द एक सच्चाई की दिवार बनाता है
फिर दूसरों को सपने दिखाता है।

पहले अपना गढ़ मजबूत करो
दिल्लीवालों को दिया गया वचन निभाओ
कभी टकराव वाली राजनीति मत किया करो
गरीब के आंसू पोछना है तो पाई पाई का हिसाब रखो।

आपको अपने गुणगान गाने की जरूरत नहीं
अभी ये नोबत आयी ही नहीं
आपने अपना ढोल पीटना नहीं है
बस जो फंड आपके पास है उसका इस्तेमाल ही करना है।

जो कोई भी अपना घर छोड़ किसी और की बात करता है तो बेहुदा लगता है
बट्टा तो तब लगता है जब उसका प्रतिनिधि दारू में धुत डोलता है
ये लोग क्या भला अपना और दूसरों का करेंगे?
वो तो बस एक प्रतिनिधि के रूप में पेश होंगे।

जो काम आपने करना है उसमे देरी मत करो
लोकपाल लाना है उसका मुसद्दा तैयार करो
टकराव छोड़ दो और जो भी सहाय मिले उससे अपना कार्यक्रम आगे बढाओ
जनता को विश्वास दिलाओ के थोड़े में भी आप सुन्दर प्रशाशन कर सकते हो।

सुन्दर प्रशाशन Sundar
Monday, March 6, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 06 March 2017

welcome manisha mehta Unlike · Reply · 1 · Just now Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 06 March 2017

सुन्दर प्रशाशन हम हारने नहीं देंगे जब आप ढींगे मारना छोड़ देंगे अन्ना का हर शब्द मूर्तिमंत करेंगे। हर दागी को अपने जीवन से दूर रखेंगे। हम जानते है आदमी महत्वाकांक्षी होता है वो पहले अपने इर्दगिर्द एक सच्चाई की दिवार बनाता है फिर दूसरों को सपने दिखाता है। जो काम आपने करना है उसमे देरी मत करो लोकपाल लाना है उसका मुसद्दा तैयार करो टकराव छोड़ दो और जो भी सहाय मिले उससे अपना कार्यक्रम आगे बढाओ जनता को विश्वास दिलाओ के थोड़े में भी आप सुन्दर प्रशाशन कर सकते हो।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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