तेली का तेल.. Teli Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

तेली का तेल.. Teli

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तेली का तेल
मंगलवार, १४ जुलाई २०२०

ना कोई किसी को मार सकता है
ना कोई किसी को गिरा सकता है
जिसका ऊपरवाला रखवाला होता है
ओर हरदम उसकी रक्षा करता है।

खाली घडा बाजे घना
मूरख कभी ना माने आपका कहना
बस उसके मन में एक ही आग है
बैगा की शादी में अब्दुल्ला दीवाना है।

तेली का तेल तले
और मशालची का पेट जले
मेल नही खाता उसके विचारो से
आदमी अलग सा दिखता है विचारों से।

कभी ना मानो अपने को बड़ा विद्वान
ना हो कभी अपनी विध्व्तत्ता का अभिमान
येचीजे अहंकार को चकनाचूर कर देंगे
निचे गिराकर नेस्तनाबूत कर देंगे।

अपनी काबिलियत को सच्चाई की एरण पर परखो
दुसरों की वाह-वाही से असली मजा चखो
अपने को लोकसेवक मानकर आगे बढ़ो
फिर जाओ आगेओर सीढ़ियों पर चढ़ो।

अपने कोबढ़चड़कर दिखाना
और दूसरे को तुच्छ समझना
ये तो बिलकुल ही है पागलपना
जिससे ना तो इज्जत मिलती है और ना ही बढ़ती है नामना।

हसमुख मेहता

तेली का तेल.. Teli
Monday, July 13, 2020
Topic(s) of this poem: poem
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अपने को बढ़चड़कर दिखाना और दूसरे को तुच्छ समझना ये तो बिलकुल ही है पागलपना जिससे ना तो इज्जत मिलती है और ना ही बढ़ती है नामना। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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