थोड़ा सा ज्ञान
गुण होते कम
और अवगुण दिखते सरेआम
हो जाता कत्लेआम
फिर कहाँ रहती आन, बान और शान।
बस्ती बस्ती हम फिरते
लोगों को बार बार यही पूछते
कैसे दिन है और कैसे कटते?
सब एक ही बात बताते रोते रोते।
ना जान है ना शान है
बस चारो और अपमान है
ना हम रोटी खा सकते है
और नाही खिला सकते है।
हम सकते में आ गये सुनकर
ये लोग तो ला देंगे हमें चक्कर
बात को उलटा समजा रहे है
करनी और कथनी का भेद समजा रहे है।
जनता जनार्दन है पर एक अड़चन है
भला बुरा सब समझते है
बातें भी मीठी मीठी करते है
लताड़ सुनकर खी खी हंस भी लेते है।
ले लो एक चीज का संज्ञान
आप खुद रहो अनजान
ना गंवाओ बेकार में जान
बस डालते रहो मुर्दे में थोड़ा सा ज्ञान।
xwelcome haresh joshi Unlike · Reply · 1 · Just now 7 minutes ago
ले लो एक चीज का संज्ञान आप खुद रहो अनजान ना गंवाओ बेकार में जान बस डालते रहो मुर्दे में थोड़ा सा ज्ञान।
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jairam tiwari ji Unlike · Reply · 1 · Just now 7 minutes ago by hasmukh amathalal | Reply