तो बात बने
मंगलवार, १८ जून २०१९
कुछ कहो तो बात बने
रात यूँही काटते चले
सुबह का इंतजार कहाँ
बस नातों का सिलसिला चले।
दिल की तसल्ली में
फ़रियादक्यों करे
जब तूने ना भुलाया
तो फिर हैंहमसफ़र बने।
कहो ना दिल पर हाथ रखकर
बस ना भरमाओ यूँही बात कर करकर
फिर भीभरोसा है हमें तुमपर
बस देख तो लो एक बार मुस्कूराकर।
फिजूल की बात हम करते नहीं
झांसा हम कभी देते नहीं
बस दिल की तमन्ना जाहिर करते है
सदैव हम ऐसा फरमाते है।
करलो हमपर भरोसा
यही है हमारी आशा
केहतो दो एक बार फिर
हम तो है एक मुसाफिर।
हसमुख मेहता
A beautiful love poem, Sir! Interesting diction. I really loved reading it. Sir, I would be blessed to get your precious views about my poem'The Wind: An Extreme Instanc' Thank you.
करलो हमपर भरोसा यही है हमारी आशा केहतो दो एक बार फिर हम तो है एक मुसाफिर। हसमुख मेहता
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