त्यौहार... Tyohaar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

त्यौहार... Tyohaar

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त्यौहार
गुरूवार, ४ अक्टूबर २०१८

बारिश ने ले ली बिदाई
मौसम में भी आ गई नरमाई
घरघर में भी होने लगी है सफाई
बस अब तो नाआवरती भी नजदीक आ गई।

जगह जगह पंडाल रचाए जाऐंगे
नौ दिन त्यौहार के रूप में मनाए जाएंगे
माताजी की छबि की चारो और गरबे घूमेंगे
नई नई वेशभूषा में सज्ज होकर नाचेंगे।

वजह जो भी रही हो
सदियों से चली आ रही प्रथा का सन्मान हो
स्त्रियां व्रत रखेगी और रातको गरबे में घूमेंगी
रंगबेरंगी साड़ियां परिधान करके झूमेगी।

अब से दो महीनों तक त्यौहार ही त्यौहार है
इसके बाद दीपावली का अवसर आनेवाला है।
घरघर में उझाला ही उझाला होगा
अन्धकार से उझाले की और जीवन कुछ करता रहेगा।

हसमुख अमथालाल मेहता

त्यौहार... Tyohaar
Thursday, October 4, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 04 October 2018

अब से दो महीनों तक त्यौहार ही त्यौहार है इसके बाद दीपावली का अवसर आनेवाला है। घरघर में उझाला ही उझाला होगा अन्धकार से उझाले की और जीवन कुछ करता रहेगा। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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