उज्जवल कामनाए
मुझे पसंद आया
सही समज में आया
हिंसा से कुछ हांसिल नहीं होता
विपरीत इस से मन विचलित हो जाता।
एक ही उपाय
सब का एक ही अभिप्राय
आप रहोगे मृतप्राय
यदि नहीं ढूंढोगे दुसरा पर्याय।
जीवन को बनाओ पथदर्शिनी
मानुनि और अपनी मार्गदर्शिनी
कोई भी सफलता दूर नहीं जाएगी
जीवन में जरूर से सुखचैन लाएगी।
किसीको धुतकारा और किसीको पुचकारा
ये काम नहीं है तुम्हारा
'द्वेष और राग' जीवन में प्रवेश नहीं पाने चाहिए
बस समभाव और क्षमायाचना ही उद्देश्य होना चाहिए।
अपने भीतर झांककर देखो कभी
सुखचैन और शांति की नहीं होगी कमी
वास्तविक जीवन से दूर घंटियाँ सुनाई देगी
प्रभु के दर्शन से उज्जवल कामनाए प्रज्वलित होगी।
ओशो की यही दीक्षा थी
हमारी भी यही शिक्षा है
जीवन में कोई कसर नहीं रह जाय
मनसा का हनन हो ये तो पश्चाताप अभिशाप ना बन जाय
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ओशो की यही दीक्षा थी हमारी भी यही शिक्षा है जीवन में कोई कसर नहीं रह जाय मनसा का हनन हो ये तो पश्चाताप अभिशाप ना बन जाय