उनके दिल को Unke Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

उनके दिल को Unke

उनके दिल को

कैसे जित पाओगे लोगो को?
उनके दिल को
जब आप गुजर जाते हो अपने काफिले के साथ
बिना टोल चुकाए जैसे जागीर बना ली है बाप।

आप और लालू
बने हो जैसे भालू
बस अपने कुनबे की ही सोचते हो
आए दिन पढ़ते है और सुनते रहते है।

कहाँ से आया इतना धन?
पढ़े हो तो लगाओ मन
क्यों देश का धन डकारना है तुम्हें?
राहुल भी चढ़ा रहा नशा तुम्हे।

बस २२० तो पक्के है
आओ तो ३०० का आंकड़ा पार करा देंगे तुम्हे! !
आप को पके आम आने लगे सपनो में
जागीर लगे बांटने अपनों में।

कहते है " जो घर का नहो वो किसीका नहीं'
माँ बाप का नही हुआ वो देश का कैसे होगा?
चारो तरफ अराजकाता का माहौल
और आपने सोचा सिर्फ महल?

आपका और लालू का पूरा कुनबा
मचा रहा है हायतौबा
और कितना घास चारा खाओगे?
कितना और अपने बच्चोके नाम करके जाओगे?

हजारो करोड़ के मालिक वयस्क होने के साथ
मोल, जमीं और गाड़ियां अपने पास
राहुलजी को साथ अच्छा मिला
बाकी सब से पीछा छुड़ा।

कितने कितने राज है पीछे?
कांग्रेस के सब चित है खाने
बस मसाला थोड़ा मिले तो राजनीती करते जाओ
अपना घर तो सम्हालता नहीं दूसरे पर महेरबानी करते जाओ।

उनके दिल को  Unke
Sunday, August 13, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 15 August 2017

welcome nagar ganpat Like · Reply · 1 · 6 mins

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Mehta Hasmukh Amathalal 13 August 2017

कितने कितने राज है पीछे? कांग्रेस के सब चित है खाने बस मसाला थोड़ा मिले तो राजनीती करते जाओ अपना घर तो सम्हालता नहीं दूसरे पर महेरबानी करते जाओ।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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