वफ़ा से भरपूर Vafa Se Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

वफ़ा से भरपूर Vafa Se

वफ़ा से भरपूर

आप अपने दिल को समझा रहे हो
प्यार को सिर्फ झरिया समझ रहे हो
नहीं है आपको समझ प्यार क्या होता है
वो तो एक रूह का नजराना होता है।

तकरार का कोई तकाजा नहीं
हंसी ख़ुशी जैसी कोई मजा नहीं
बात करो तो प्रेम से की दिल खुश हो जाए
अंदर की आत्मा एक बार तो अपना राजः बता जाए।

प्यार में नजर नहीं झुकाते
आँखों को कभी नहीं चुराते
जो भी हो अपना पक्ष हो
फिर चाहे कोई भी शख्श हो।

करो महोब्बत उन से जो जिंदादिल है
जिनके पास धड़कता दिल है
अपना खुद का फलसफा है
और सब से ज्यादा तो दिल वफ़ा से भरपूर है।

वफ़ा से भरपूर Vafa Se
Sunday, October 1, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 01 October 2017

करो महोब्बत उन से जो जिंदादिल है जिनके पास धड़कता दिल है अपना खुद का फलसफा है और सब से ज्यादा तो दिल वफ़ा से भरपूर है।

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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