वफ़ा और बेवफा
मकसद एक ही है
मारना और मरना ही है
खरबूजा छुरी पर गीरे
या छुरी खरबूजे पर गीरे।
वफ़ा और बेवफा
बस नहीं कोई समझौता
एक ही सिक्के के दो पेहलू
ना हो उसमे मर लु या मार लु।
कई बार हम वजह बन जाते है
प्यार के गलत मतलब निकाले जाते है
कोई कहे 'औरत एक खिलौना है'
उसके साथ प्रेम एक आंखमिचौना है।
भले ही हम बेवफ़ा होने की वजह बन जाय
हमारे चर्चे चौरा और चौटा में हो जाय
हम उसको कभी लक्ष्य में नहीं लेंगे
शायद सोचने में वो सही होंगे।
हमने किया प्यार सही जानकार
पर वो निकले बड़े अदाकार
हमारा उनसे मेल नहीं खाया
बस फिर तो हमने खता ही खाया।
शिकार करने निकले थे
शिकार खुद हो गए
अब हमें पछतावा होने से क्या फायदा?
वो तो मुकर ही गए ना कर के वादा।
शिकार करने निकले थे शिकार खुद हो गए अब हमें पछतावा होने से क्या फायदा? वो तो मुकर ही गए ना कर के वादा।
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Tarun H. Mehta welcome Unlike · Reply · 1 · Just now