विश्वास रखो
रविवार, १९ अगस्त २०१८
ना रखो पारकी आस
वो तो करेगी सदा निराश
मैं न होता नासिपास
जब तुम होते मेरे आसपास।
ना बंधाओ खोटी ठाढ़स
चेहरा हमेशा रहेगा रडमस
मुखड़ा रहेगा उदास
ना होगा कोई अवकाश।
अपने पर विश्वास रखो
फल भी सामने है तो धीरे से चखो
धीरज के फल मीठे होते है
आप कामयाब जरूर होते है।
कोई नहीं जानता
पर सब कोई मानता
कुछ भी तो अपने हाथ में नही!
अभी का पल भी अपने हाथ में नहीं।
जो पा लिया वो ही अपना है
जो गुम हो गया वो पुराना है
आनेवाला कल हमारा होगा
जो भो होगा उसे अपनाना होगा।
अपना भाग्य हमें ही बदलना है
सही रास्ता चुनना है
हमने ही तय करना है क्याहोंगे वो पल?
कुछ भी नहीं छोड़ सकते हमारे हाल पर।
हसमुख अमथालाल मेहता
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अपना भाग्य हमें ही बदलना है सही रास्ता चुनना है हमने ही तय करना है क्याहोंगे वो पल? कुछ भी नहीं छोड़ सकते हमारे हाल पर। हसमुख अमथालाल मेहता