वो मार खा जाता है
हम ठहरे आम इंसान
पर रखे ठाठ और शान
ना सहे कभी किसी की गुस्ताखी
क्योंकि प्रतिभा ही है बहुमुखी।
हमें वो लोग पसंद है
जो हँसते मंद मंद है
अपनी मुस्कराहट से दिल जीत लेते है
और धीरे से अपने मन की बात कह देते है।
जैसे हम सादे
वैसे ही है हमारे वादे
मन में है पक्के इरादे
कभी भी किसीको जूठा करार ना दे दे।
ना बने कभी भी किसी का सरदर्द!
बांटे दर्द, बनके हमजोली या हमदर्द
इसी को ही हम माने अपना धर्म
और करते रहें सच्चा कर्म।
मुश्किल है मानवधर्म को निभाना
दूसरों को गले से लगाना और अपनाना
कहने को और लिखने को आसान है
क्योंकि गलती करता ही इंसान है।
गलती का आभास जल्दी ही हो जाता है
जब कुदरत की मार का अंदाजा आ जाता है
हर दांव जब उल्टा पड़ने लगता है
और आसान चीज़ भी खतरे की घंटी बजाता है।
जब कुदरत की मार का अंदाजा आ जाता है
हर दांव जब उल्टा पड़ने लगता है
और आसान चीज़ भी खतरे की घंटी बजाता है
मन ही मन याद कर के बारबार रुलाता है।
मन में भय पैदा हो जाता है
हर बातपर मन को सहलाता है
कहीं पे रुकता है और कहीं पे चल देता है
यहीं पे वो मार खा जाता है।
welcome santosh kumar Unlike · Reply · 1 · Just now
मन में भय पैदा हो जाता है हर बातपर मन को सहलाता है कहीं पे रुकता है और कहीं पे चल देता है यहीं पे वो मार खा जाता है।
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Santosh Kumar Sharma Behtareen Unlike · Reply · 1 · 1 hr