अये नारी बलवान बन
अये नारी बलवान बन!
मज़हब, मिल्लत, सारे जग की,
अपनी तू पहचान बन!
अये नारी..................................................
तेरा रूप हज़ारों में है, प्यारा और अनोखा!
टूटे शाख न, पट्टी टूटे, न दे कोई धोका!
माँ भी ....तू, बेटी भी, तू है!
चमक दमक, तुझ से हर सू है!
इस तफ़रत में आगे आ, रज़िया सी सुल्तान बन!
अये नारी................
प्यार की शक्ति से नफरत को, रोकना होगा घर में!
वर्ना घर भी जलेगा तेरा, लगेगी आग शहर में!
अश्क़ लहू बन कर निकलेगा, अमन कहीं न होगी!
यानि कोई बनेगी विधवा, बनेगी कोई रोगी!
इसी लिए है चीख़ हमारी, ये पैग़ाम हमारा!
आओ साथ में, तुम भी बोलो, नफरत नहीं गवारा!
हिन्दू, मुस्लिम, बाद में बनना, पहले आ इंसान बन!
अये नारी..................बलवान बन!
रचना& लेख: - - -अंजुम फिरदौसी
(प्रखंड: -अलीनगर, ज़िला: -दरभंगा, बिहार)
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इसी लिए है चीख़ हमारी, ये पैग़ाम हमारा! आओ साथ में, तुम भी बोलो, नफरत नहीं गवारा! हिन्दू, मुस्लिम, बाद में बनना, पहले आ इंसान बन! अये नारी..................बलवान बन!