याद भी रखेंगे Yaad Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

याद भी रखेंगे Yaad

याद भी रखेंगे

ये जजबात है
दिली बात है
कोई समझे तो ठीक है वरना
मन में जरूर रहेगा उसका अफ़साना।

मुझे एक बात खली
थोड़ी सी लगी खाली
पर सूना बहुत था
लड़के के वर्तन पे इतना शक नहीं था।

पिताजी का ये कहना 'मन को छू गया'
मन में नीचता का भाव आकर रुक गया
क्या मेरा यही काम बाकी रह गया था?
पिताजी के मनमे कौन सा घमासान चल रहा था?

मुझे समझ नहीं आया
पत्नी ने मुझे क्यों धमकाया?
क्यों पिताजी और माताजी के बारेमे उल्टा सीधा बताया?
क्यों मुझे ज़िंदा जल जाने की धमकी देकर उकसाया?

आगे खाई पीछे कुआं!
में हुआ रुआ रुआ
मन नहीं माना फिर भी भारी दिल से यह प्रस्ताव रखा
पिताजी ने सोचा, समझा और परखा।

'वो स्वगत कुछ बोल रहे थे' में चेहरे के भाव पढ़ पाया
मुझे जमीं मे गढ़ जानेका भयंकर बिचार आया
पर पीछे ख्याल आया 'गृहस्थी को भी सम्हालना है '
बच्चे है उनका भविष्य भी बनाना है।

पिताजी मान गए
माताजी कुछ कह नहीं पाए
उनके दिल का रंज मुझे हिला गया
ऐसा नहीं की मैंने उनका सब कुछ ले लिया।

में थका थका घर आता था
माता पिता के चेहरे की उदासी देखा करता था
मन में कभी ख़ुशी का एहसास नहीं हुआ
इसके बाद ही ये सोचने को मजबूर हुआ।

मेराआचरण थोड़ा सा उनके मन में उदासी लाएगा
'पर वो समझदार है' उनका सोचना रोष को ठंडा कर पाएगा
' में आज्ञाकारी बालक हूँ उनका ' वो फर्क महसूस कर पाएंगे
"मेरा फर्ज मुझे उनसे दूर नहीं रख पाएगा और वो याद भी रखेंगे।

याद भी रखेंगे Yaad
Sunday, July 16, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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welcome nisarg patel Like · Reply · 1 · Just now · Edited

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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