याद कहां से लाऊँ
शनिवार, ४ २०१८
तेरी याद कहां से लाऊँ
जग को कैसे बताऊँ?
रात को मैं सो ना पाऊं
कोई आवे धीरे से, तो चमकी, जग जाऊं।
वो पल में भूल न सकूँ
और किसी को कह न सकूँ
वो पलके मुझे कह रही
तू है आसपास और यहीं कही।
क्यों चली गई मुझे छोड़कर?
मै देखता ही रह गया पलभर
आँखे तेरी बंध थी
पर तू तो कभी अंध नहीं थी।
उजाला जिंदगी से चला गया
मुझे उदासीन करता गया
मैं गुमसुम हो कर बैठ गया
मानो मेरी आत्मा को मुझ से अलग कर गया।
नहीं सोचा था ऐसा हादसा हो जाएगा
मुझे तेरे से अलग कर जाएगा
मेरी तो आवाज ही चली गई
मानो अबोल बनाकर गूंगा कर गई।
जीवन का सत्य मुझे स्वीकार ना होगा
तेरी आत्मा को खुश करना होगा
तू थी वैसे ही स्थिती में रहना होगा
उसे मेरे भरोसे का एहसास दिलाना होगा।
यह कहना आसान है
पर उसका मेरे पर एहसान है
मै भी एक इंसान हूँ
जल्दी भूल पाने का ही मन में घमासान है।
हसमुख अमथालाल मेहता
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daxa Shah Miss you my sister 1 Manage Like · Reply · 1h
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