ले ली जीवन ने अग्नि परीक्षा मेरी।
मैं आया था जग में बनकर
लहरों का दीवाना,
यहां कठिन था दो बूंदों से
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इष्क़ का अदना सा मन्ज़र देखिये।
एक क़तरे में समंदर देखिये॥
मुझ पे हंसता है ज़माना आजकल,
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बीत गयी बातों में,
रात वह खयालों की,
हाथ लगी निंदयारी जिंदगी,
आंसू था सिर्फ एक बूंद,
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