सुनामी Poem by DineshK Pandey

सुनामी

एक दिन सुनानी आयेगी
जिंदगी को बहा ले जायेगी

रेत से सोने के कण
बीन लो
कोई गीत गा लो
कोई गजल गुनगुना लो

किसी की सुन लो
या अपनी सुना लो

वर्ना
देर हो जायेगी
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सुनामी
Monday, November 9, 2015
Topic(s) of this poem: classic
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