क्यों लगा दाग (छुआछूत पर आधारित कविता) Poem by Gaya Prasad Anand

क्यों लगा दाग (छुआछूत पर आधारित कविता)

केवल एक दिन की बात नहीँ
हम सदियों से सताये गये
हमेशा ऊंच नीच जाति पाती
के फंदों मे फँसाये गये
जिसने भी
सर उठाने की कोशिश की
ओ मारे गये, पीटे गये
और जिन्दगी भर रूलाये गये ।
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मेरे इस दामन को
ज़रा गौर से देखो यारो
इसमे भी छुआ छूत के
दाग लगाये गये
ये मैं नहीकहता
सब लोग जानते हैं
कि
जिनका हो गया बेजान जिस्म
ओ नफ़रत के आग से ही
जलाये गये ।
अगर जलना ही चाहते हो
तो समाज का दीपक बनो
कुछ रोशनी होगी
समाज आगे बढेगा ।
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हमे पाप पुण्य की
दरिया मे कुदाया गया
हमेशा स्वर्गनर्क का
पाठ पढाया गया
ये मै नहीँ कहता
ओ लोग कहते है!
कि गंगा मे नहाने से
पाप धूल जाते है!
तोफ़िर क्यों?
छुआ छूत का
दाग लगाया गया ।
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.....स्वरचित.......
गया प्रसाद 'आनन्द '
मो.नं.9919060170

क्यों लगा दाग (छुआछूत पर आधारित कविता)
Tuesday, March 20, 2018
Topic(s) of this poem: seduction
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