माँ बाप औऱ हम Gaya Prasad Anand Poem by Gaya Prasad Anand

माँ बाप औऱ हम Gaya Prasad Anand

माँ बाप और हम
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जब हम छोटे थे
कितने अच्छे थे
कितने प्यारे थे
अपने माँ बाप के
आँखों के तारे थे
तब हम अपाहिज थे
नादान थे, अंजान थे
माँ बाप के होठों की
मुस्कान थे
माँ बाप ही मुझे
सबसे प्यारे थे
हम माँ बाप के
ही सहारे थे
बचपन के दिनो मे
हम भाइयों में अक्सर
रोज़ होता था झगड़ा
इस बात को लेकर
मै लेटुंगा पापा के साथ
मै लेटुंगा मम्मी के साथ
नहीँ! मैने लेटुंगा पापा के साथ
वक्त बदल गया
वक़्त के साथ
हम भी बदल गये
आज हम बड़े हो गये
अपने माँ बाप की बदौलत
इन पैरों पर खड़े हो गये
अपने जीवन की
सारी खुशियाँ देकर
बूढे हो चले माँ बाप
और हम जवां हो गये
बदल गये हमारे विचार
अब हम न जाने
क्या से क्या हो गये
हम भाइयों में अक्सर
इस बात को लेकर
अब भी झगड़ा होता है
कि ये बुढ़े माँ बाप
ये बीमारी की हालात
अब आज कौन लेटेगा
इनके साथ
आज हम वही हैं
वही हैं हमारे माँ बाप
सिर्फ़ बदल गये हैं
हमारे विचार, संस्कार
और ख्यालात ।

Gaya Prasad Anand
(Anand Gondavi)
Mo.9919060170

माँ बाप औऱ हम Gaya Prasad Anand
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