बहते 'आँसू' Gaya Prasad Anand Poem by Gaya Prasad Anand

बहते 'आँसू' Gaya Prasad Anand

मुहब्बत में बहे आँसू,
मुसीबत में बहे आँसू

दिल का दर्द हर किस्सा
इन आखों से कहे आँसू

कभी नफरत कभी तौहबत,
कभी जिल्लत बनें आँसू।

इन आँखों की ख़ता क्या है,
जो इन आखों से बहे आँसू।

कभी तो प्यार हैं आँसू
कभी अंगार हैं आँसू।

अबऔरत है नहीं अबला
उसके हथियार हैं आँसू।

दिल में जब उठें लहरें,
तो ये पतवार हैं आँसू।

मुसीबत की घडी में ये
सदा हथियार हैं आँसू।

-- गया प्रसाद आनन्द 'आनन्द गोण्डवी '

बहते 'आँसू' Gaya Prasad Anand
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