तु ही बता रे Poem by Priya Guru

तु ही बता रे

तु ही बता रे सांवरे!
अब तु ही बता रे

कैसे मिटादूँ वो एहसास न्यारे
कैसे हटादु उस रब के सहारे

संजोकर दरिया भीगा था जिसमे
खोकर कहीं मुझको पाया था तुझमे

मैं कैसे हटादु दरिया जमीं से
मैं कैसे मिटादूँ बादल गगन से

तु ही बता रे सांवरे!
अब तु ही बता रे

चंदा बिन चांदनी होता नहीं है
सागर बिन लहरे बहता नहीं है

भंवरा बिन कलियाँ जियें भी तोह कैसे
तुझ बिन तुझमे रहा जाए तोह कैसे

अब तु ही बता रे सांवरे!
तु ही बता रे

Thursday, February 4, 2016
Topic(s) of this poem: love and art
COMMENTS OF THE POEM
Manish Bhanu 04 February 2016

marvelous....one of the best...seems dedicated to lord krishna.....

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