हम तो थे लेते तेरा नाम Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हम तो थे लेते तेरा नाम

हम तो थे लेते तेरा नाम
छिप -छिप कर जहाँ से,
कहीं तू बदनाम न हो जाये,
तुमने मेरे सिर सेहरा बाँध,
सबको बता दिया।

Tuesday, November 14, 2017
Topic(s) of this poem: love
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