शायद यहीं मोहब्बत हैं, तेरे मेरे दरम्यान
कि इस कदर मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ,
कि जब तू रात मे सोती हैं मैं तुझे निहारताहूँ।।
चाहता हूँ यह सिलसिला जिंदगी भर यूँही चलता रहे
मैं तुझे हमेशा ऐसे ही निहारता रहूँ और तुझे पता भी ना चले ।।
कि सुबह कहा फुर्सत हैं तुझे निहारने की,
तुझसे दो पल बात करने की ।।
और रात का आलम यह है कि तू बिस्तर पर गिर करअपने आप को नींद के हवाले कर देती है,
मैं यूँही देखता रहता हूँ और तू धीरे से करवट बदल लेती है ।।
अब तुझे निहार कर अपनी मोहब्बत का इज़हार कर जाता हूँ,
तू सोती रहती है और मैं तुझे चुपचाप निहार जाता हूँ ।।
शायद यही मोहब्बत हैं जो तेरे मेरे दरम्यान हैं,
तू सुकूं से सोती हैं और मैं तुझे बस सुकूँ से निहारता रहता हूँ ।।
जब भी देखता हूँ तुझे, तेरे चेहरे पर कितना नूर छलकता हैं,
शायद यह कुदरत का कोई जादुई करिश्मा लगता हैं।।
नहीं होती हिम्मत तुझे जगाने की,
शायद अपनी दिल की बात कहने की।।
जब तुम सुबह उठती है,
तो मैं सोने का नाटक कर जाता हूँ,
शायद तुम्हें दिखाने के लिए आँखे बंद कर जाता हूँ।
तुझेकैसे बताऊँ की मैं तुझसे कितना प्यार कर जाता हूँ,
रात भर तेरे बारे में सोच जाता हूँ पर कह नहीं पाता हूँ।।
शायद तेरे मेरे दरम्यान यहीं मोहब्बत हैं,
तू बोलती बहुत हैं,
और मैं खामोश बहुत हूँ ।।
एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से
(शरद भाटिया)
Bahut badiya....10+++++ I quote: शायद तेरे मेरे दरम्यान यहीं मोहब्बत हैं, तू बोलती बहुत हैं, और मैं खामोश बहुत हूँ ।।
मुहब्बत के अनगिनत रंग हैं. उन्हीं में से एक खुबसूरत रंग यह भी है. बिना बोले भी मुहब्बत ज़ाहिर हो जाती है. और जब वह अपने साथ बैचेनी की जगह सुकून ले कर आती है तो कुछ कहने सुनने की गुंजाइश ही नहीं रहती. आपकी रचना के ही कुछ अंश यह कह रहे हैं: तू सुकूं से सोती हैं और मैं तुझे बस सुकूँ से निहारता रहता हूँ ।। शायद यह कुदरत का कोई जादुई करिश्मा लगता हैं।।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Bolti bohut ho tum Khamoshi oodhe hoon mai Kamaal ka hai ye gathbandan Na wo badhe aage Aur na hum jhukte neeche Samajhne ke koshi kare firbhi Aasman aur zammi bhi milte chitij me Kaun jane bahar kidhar se aa jaye Bahut khoob aachadan vayaktikaran.