एक कात्ता। (उर्दू) Poem by Om Chawla

एक कात्ता। (उर्दू)

संगतराश-ए अज़ीम की कारीगिरी की अज़मत है
तेरा जिम इस क़दर मखमली है
वो इक रात जो फरिश्तों ने अत्ता की थी मुझे
तेरे आरिज़ की महक मुझे आजभी महसूर किये है।

Saturday, May 16, 2020
Topic(s) of this poem: love
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