उनके चरणों में खुदा होगा। Poem by prem kumar gautam

उनके चरणों में खुदा होगा।

किस तूफ़ान को देख डरा है तू!
बिना खिवाए जो कस्ती तेरी किनारे पर लगा देगा।

तू किस खुदा को बन्दे भूला है!
बिन बताये जो अपना, तेरे घर का पता देगा।

काँप रहा है देखकर अब तू किस अँगारे को!
कड़कती, ठिठुरती सर्दी में, जो इस पल तूझको बचा लेगा।

काट रहा है तू पेड़ कौन सा, देख नज़र उठा कर!
जो तपन भरी दूपहरी में, ठंडी सी तुझको छावँ देगा।

क्यों अफ़सोस तू करता है खुली चाँदनी में सो कर!
दोस्त है ये जो चाँद तेरा, तन्हाई सारी मिटा देगा।

बरसने दे चहरे पर अपने काले घने बदरों को!
समुन्दर से बहते अश्क़ों को, दुनिया से छुपा लेगा।

चंद दाने है जो तेरी मुठ्ठी में, बिखेर तू देश की धरती पर!
और सब्र कर कुछ पल को, , खुदा दानो से अन्न उगा देगा।

मत कर नफरत असहाय से, पूछ तू उस से पानी को!
जीते जी तो देगा ही, मर कर भी तुझको दुआ देगा।

मत उजाड़ तू इतनी निर्दयता से, सूखे घने उपवन को!
पसीने से लथपथ प्राणी को, सावन में, सीतल विरल हवा देगा।.

मत कर अभिमान जवानी पर जो कुछ पल की ही मेहमाँ है!
वक़्त बड़ा बलवान यहाँ, तुझ पर भी बुढ़ापा ला देगा।

मत कर नफरत लाचारों से, पूछ तू उनसे खाने को!
मानवता का भार उठा, लाभ तो तुझको खुदा देगा।

झुक माँ -बाप के चरणों में, कहाँ मंदिर, मस्जिद फिरता है!
जग ढूंढेगा न मिलेगा तुझको, उनके चरणों में खुदा होगा।

रचनाकार -प्रेम कुमार गौतम

उनके चरणों में खुदा होगा।
Friday, January 20, 2017
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