prem kumar gautam

prem kumar gautam Poems

आकर तितलियां मेरी गालों पे बैठने लगीं हैं।
झुर्रियां का फेरा समेटने लगीं हैं।
कुछ मधुकर मेरे कानों को गीत सुनाने लगे हैं।
ये मेंढ़क भी मेरी चौखट पर टर मारने लगे हैं।
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किस तूफ़ान को देख डरा है तू!
बिना खिवाए जो कस्ती तेरी किनारे पर लगा देगा।

तू किस खुदा को बन्दे भूला है!
...

जुवां की भाषा निरर्थक रही
, दिल की जुवां को समझते हो तुम।
वीरानियों में घिरुं मैं जब भी,
प्रेम की बारिश से बर्षते हो तुम।
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मैं जागूँगा अब से रातों में तुम सो जाना प्रिये!
दुआ मागूँगा तुम्हारे लिए रब से, तुम मुस्कराना प्रिये! !

न कुछ कहूंगा तुमसे, न कोई शिकायत है मेरी,
...

The Best Poem Of prem kumar gautam

वो आँखों के रास्तों से मेरे दिल में आने लगे हैं

आकर तितलियां मेरी गालों पे बैठने लगीं हैं।
झुर्रियां का फेरा समेटने लगीं हैं।
कुछ मधुकर मेरे कानों को गीत सुनाने लगे हैं।
ये मेंढ़क भी मेरी चौखट पर टर मारने लगे हैं।
मुस्कराता रहता हू मै हाथ फेर कर खरगोश पर,
मदहोशी में रहकर भी रहता है होश पर,
जुगनू भी अब मुझको रास्ता दिखने लगे हैं।
वो आखों के रास्ते से मेरे दिल में आने लगे हैं।

शाम हो कर भी रातों में उजाला टिका हैं
आज कोई कीमती हीरा बेमोल बिका है,
जड़ लिया हैं चांदनी ने मुझे अपनी घन अलकों में,
बारिश सा बरस रहा हूं छप्पर सी पलकों में,
डूब रहा है ये सूरज भी सागर में अब ख़ुशी से,
कर रहा है स्वागत अब चंद्रमा का हँसी से,
सन्नाटे भी आवृत्ति को सुनाने लगे हैं,
वो आँखों के रास्ते से मेरे दिल में आने लगे हैं।

छलछला रही है सरिता भी पत्थरो पे गिरके भी,
जगमगा रही है आस्था, प्रेम के दीपकों में जलके भी,
ये बादल भी अब लंगाड़े अब सुनाने लगे हैं।
ये हांथी भी चीखने - चिंघाड़ने लगे हैं
हवा का झोंक भी अब लौ को लय देने लगा है।
बगुला भी सारसों से कुछ कहने लगा है
अश्क़ बारिश बनकर धरती में सारे सामने लगे हैं।
वो आँखों के रास्तों से मेरे दिल में आने लगे हैं

prem kumar gautam Comments

Prem Kumar Gautam 30 August 2018

8227851424

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