prem kumar gautam Poems

Hit Title Date Added

आकर तितलियां मेरी गालों पे बैठने लगीं हैं।
झुर्रियां का फेरा समेटने लगीं हैं।
कुछ मधुकर मेरे कानों को गीत सुनाने लगे हैं।
ये मेंढ़क भी मेरी चौखट पर टर मारने लगे हैं।
...

किस तूफ़ान को देख डरा है तू!
बिना खिवाए जो कस्ती तेरी किनारे पर लगा देगा।

तू किस खुदा को बन्दे भूला है!
...

जुवां की भाषा निरर्थक रही
, दिल की जुवां को समझते हो तुम।
वीरानियों में घिरुं मैं जब भी,
प्रेम की बारिश से बर्षते हो तुम।
...

मैं जागूँगा अब से रातों में तुम सो जाना प्रिये!
दुआ मागूँगा तुम्हारे लिए रब से, तुम मुस्कराना प्रिये! !

न कुछ कहूंगा तुमसे, न कोई शिकायत है मेरी,
...

Close
Error Success