दिया दिवाली खुशयों की सौग़ात मुबारक हो Poem by NADIR HASNAIN

दिया दिवाली खुशयों की सौग़ात मुबारक हो

धन दौलत ये ख़ुशी मोहब्बत प्यार मुबारक हो
जग मग रौशन दीपों का त्यौहार मुबारक हो


दीपावली है दीप की पंक्ति जगमग घर दरवाज़ा है
हर दिन हर पल आप को ये हर साल मुबारक हो



चौदह साल के बाद थे लौटे घर को अपने लक्ष्मन राम
वही है दिन ये वही है रातें उसी ख़ुशी की है ये शाम


मानवता की जीत है ये सन्देश अमन का देता है
दिया दिवाली खुशयों की सौग़ात मुबारक हो

: नादिर हसनैन

Sunday, October 30, 2016
Topic(s) of this poem: happy
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