जिंदगी के परम बान Poem by Dr. Yogesh Sharma

जिंदगी के परम बान

Rating: 5.0

पेड् हरे हैं, भरे हैं और घने हैं,
रखते काली दुनिया को साफ हैं,
प्रक्रति मां को रखते ठीक हैं,
जग को सुंदरता करते बहाल हैं।

झर-झर करती वर्षा आती है,
धरा को नहला कर करती साफ है,
नये पौधे धरा को दिखाते आंख है,
नर-नारी करते हर्ष-नाद हैं।

आप जैसा दानी, कोई दुसरा नहीं है,
तुम ना हो तो, जीवन नहीं है,
जिसको सींचा प्रभु ने, ये बही नाम है,
जग लुभाती, ये वही राग है।
जग की शक्ति, यही शान है,
जिंदगी के लिये परम बागबान है।

जिंदगी के परम बान
Wednesday, September 16, 2020
Topic(s) of this poem: environment
COMMENTS OF THE POEM
Aarzoo Mehek 16 September 2020

Behtereen kavita. Bohot khoob

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Sharad Bhatia 16 September 2020

एक बेहतरीन रचना के साथ शिक्षा प्रगति को बचाये, जीवन अपना सार्थक बनाये आपका बहुत -बहुत आभार इतनी बेहतरीन रचना के साथ शिक्षा देनें के लिए

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Varsha M 16 September 2020

Aabhar aapka iss gehri rachna ke liye. जिसको सींचा प्रभु ने, ये बही नाम है, जग लुभाती, ये वही राग है. Saar hai aapki kavita ka.

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Rajnish Manga 16 September 2020

अद्वितीय रचना. शब्द जैसे नदी के समान अनायास बहते चले जाते है. प्रकृति प्रेम से लबरेज़ यह एक महान शब्द चित्र है. इसके लिए आपको बधाई एवम् धन्यवाद.

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