वसीयत लिख छोड़ी है,
सारे वादे तुम्हारे नाम कर दिए हैं।
सारे के सारे अपने सपने,
सारे दुःख सुख अपने।
कुछ टुकड़े तुम्हारी यादों के,
कुछ टुकड़े मेरी फरियादों के ।
एक टुकड़ा अपने अभिमान का,
एक टुकड़ा तुम्हारे अहंकार का।
एक शब्दों की जागीर है,
एक किस्मत की लकीर है।
छोड़े जा रही हूँ सब तुम्हारे लिए,
समेट रखा था अब तक जो हमारे लिए।
अपने सारे श्रृंगार,
तुम्हारे नाम कर चली हूँ।
अपनी सारी तकरार,
तुम्हे सौंप चली हूँ।
मन की तिजोरी में,
फेहरिस्त बना रखी है।
चाबी तुम्हारे मन की,
ओट में लटका रखी है।
वक़्त मिले तो,
उलट पलट कर देखना।
जीवनभर की पूँजी है।
इसे सहेज कर रखना।
***
मुझे यकीं है वो जाने नहीं देंगे।।। शायद एक गीत भी गए ओ मनचली कहाँ चली देख देख....... कभी कभी दिल का ग़ुबार निकल ही जाये तो अच्छा है, ये प्यार के नोक झोक झोक बरक़रार रहे दुआ है हमारी आप दोनों का प्यार सदा सलामत रहे, बेहद उम्दा एहसास बहुत खूब है 10***
kavita pasand karne aur dher saari duaon ke liye bahut bahut dhanyawad Shriman. nok jhok to prem ka prateek hi h. iske bina prem adhura hi rahta h.
Bahut umda khayal. Saache ehsaas, saachi phariyaad. Bahut behtareen rachna. Dhanyawad.
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काश वसीयत ना होती तेरी मेरी मोहब्बत की दास्तान ना होती एक दर्द मोहब्बत का जो हमेशा रुलाता हैं बेहतरीन रचना एक बहुत बेहतरीन कवयित्री के द्वारा 1000 +
kavita pasand karne ke liye bahut bahut shukriya Shriman. mohabbat aur dard ka rishta to atoot h.