लोग कहते तुझे देख, हुस्न की मलिका,
लेकिन सारे अँग तेरे, कत्ल सरेआम करते हैं।
आँखें दीखती तेरी, जैसे मधुमय शराब,
मादक बना देता तेरा, सारा कुछ लाजबाब,
मोहक मधुर चितवन, जैसे जादू भरी शबाब,
चँचल कटाक्ष, दिल कत्ल बेजुबान करते हैं।
तैरे बालों की शोभा, जैसे लहराती घटा काली,
झूमती चारों ओर, छटा बनती नागिन रुप वाली,
घन यदि सिमट जाते, शोभा बन जाती निराली,
फिर तेरे बाल आशिक दिल, क्यों न थाम लेते हैं?
मादकअधरों को देख सबका मन ललच जाये,
पी ले कोई एक बार, घर-बार सब भूल जाये,
नासिका अपलक देखती, बार बार तरस.जाये,
अधरों की यह अदा दिल, कत्ल सरेआम करते.हैं।
नख से शिख तक झाँका, पाया हर अँग यही हाल,
जहाँ भी निहारा हमने, सबने कर रखा.है बेहाल,
अँग -अँग निहारा हमने, सबने बताया यही हाल,
आखिर'नवीन'किस खता पे कत्ल सरेआम करते हैं।
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