चलते चलते
वक्त ने कहाँ ठहरना है?
उसने तो अपना काम करना है
जो सोचता रह गया
मानो वंचित रह गया।
जिसने भी देरी की
समझ लो हराकेरी की
अपनी मौत को दावत दी
और जिंदगी से अदावत की।
में ये करुं, में ये करलू
अपनों से जाके गले मिल लू
सभी से अपनी ख़ुशी का इजहार कर लू
पर टाइम से ना कह पाउ रुक तू!
समय कहता ' में पाबन्द अपने मालिक का '
हुकम मानना सिर्फ अलौकिक आदेश का
तुम अपने सामान को इकठे करते जाओ
ले जाओ साथ तो जरूर ले आओ।
सफर का इतना ख्याल मत करो
बस उसपर समय नष्ट मत करो
जैसे सामना करना पड़े वैसे ही सामना करते जाओ
प्रसिद्धि और समृद्धि मिलती है तो बटोरते जाओ।
ना वो कहके आएगी और ना कहके जाएगी
समय की पाबंध पलभर में अद्र्श्य हो जाएगी
आप देखते रह जाओ गे हाथ मलते मलते
इसलिए कहते है मिलाओ घडी समय के साथ चलते चलते।
welcome breJENDRA SINGH TYAGI Like · Reply · 1 · 2 mins Manage
समय का सुंदर सार व एक अद्भुत अभिव्यक्ति. धन्यवाद. जिसने भी देरी की समझ लो हराकेरी की अपनी मौत को दावत दी और जिंदगी से अदावत की।
ना वो कहके आएगी और ना कहके जाएगी समय की पाबंध पलभर में अद्र्श्य हो जाएगी आप देखते रह जाओ गे हाथ मलते मलते इसलिए कहते है मिलाओ घडी समय के साथ चलते चलते।
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Bijendra Singh Tyagi Bijendra Singh Tyagi Ur poem is wonderful. Like · Reply · 1 · 1 min