एक एहसास मेरे प्यारे हिन्दुस्तान का Poem by Sharad Bhatia

एक एहसास मेरे प्यारे हिन्दुस्तान का

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एक एहसास मेरे प्यारे हिन्दुस्तान का

एक एहसास अपने हिन्दुस्तान का सुनाना चाहता हूँ
इसकी माटी को रोज़ चूमना चाहता हूँ,
हो नत मस्तक इसे प्रणाम करना चाहता हूँ।।

एक एहसास मेरे गाँवों का जहाँ आज भी रिश्तों मे मिठास हैं,
जहाँ गाली नहीं प्रेम की बोली बोली जाती है ।।

एक एहसास मेरे 138 करोड़ हिंदुस्तानियों का जो हमेशा साथ रहतेहैं,
चाहे आँधी आये या तूफान हमेशा तीज त्यौहार साथ - साथ मनाते हैं ।।

एक एहसास उन बच्चों का जो आज भी माँ बाप के पैर छूते है,
और उनके डांटने पर सिर नीचे झुकाते है।।

एक एहसास मेरे किसान भाइयों का जो हार कर भी मुस्काता हैं,
और रोज की तरह हल जोतने खेत मे जाता है।।

एक एहसास उस तिरंगे का जिसे मेरा हर शहीद भाई ओढ़ कर सोता है,
और मेरी माँ का सिर फक्र से ऊँचा होता है।।

एक एहसास मेरे पिता का जो खाली जेब होते हुए भी खुद को राजा बताते,
और हमारे लिए ढेर सारे खिलौने लाते ।।

यह एहसास उन बेटियाँ का जो शेरनीयाँ हैं,
और बन दुर्गा, काली दुश्मनों का विनाश कर जाती।।

एक एहसास उन साहित्यकारों का जिन्होंने बड़े - बड़े साहित्य लिखे,
और मेरे हिन्दुस्तान का मान सम्मान बढ़ाया.।।

एक एहसास उन संतों का जिन्होंने मेरे हिन्दुस्तान को सोने की चिड़िया बताया।।

एक एहसास मेरे हिन्दुस्तान की एकता का
जिन्होंने हम सब को एक ही धागे मे पिरोकर बाँधा हैं

एक प्यारा सा एहसास मेरे प्यारे से हिन्दुस्तान के लिए मेरी नन्ही कलम से
(शरद भाटिया)

एक एहसास मेरे प्यारे हिन्दुस्तान का
Wednesday, September 9, 2020
Topic(s) of this poem: emotion,expressions,feeling
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This verse is inspired by My beloved Guruji Rajnish Manga ji poem's "नफरत की फसल ना बोये"
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 09 September 2020

मातृभूमि भारत के लिए उसके एक सच्चे सपूत दिल की गहराई से निकले भावुकतापूर्ण उदगार. आओ मिल कर अपने देश को नई ऊंचाइयों पर ले चलें जहाँ हर दिल में उमंग हो और होठों पर मुस्कराहट हो. व्यक्ति व्यक्ति के बीच नकली सोच की दीवारें न हों. धन्यवाद, मित्र शरद जी.

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Varsha M 09 September 2020

Bahut umda khayal hai aapka. Aapne sarzami ka naam roshan karne ke liye watan ke liye ja bhe de jate watan parasti ke baat aaye to kadam peeche kabhi nahi hatte nahi. Bahut khoob. Respect your nation and always remember to hoist the tricolour high up the sky in your words in your deeds and in your thoughts and in your actions. This is how swami Vivekananda's, Mahatma Gandhi and Dr Abdul Kalam ji honored our mother India. Thank-you for sharing this.

1 0 Reply
M Asim Nehal 09 September 2020

Rangon me saja ke Motiyon ki mala pehna di apne lekin sachchai se pare hai bahut dukh hota hai jab apne hi apno ke dushman ban jate hain, nanak dukhiya sab sansar, बुरा जो देखन मैं चला, साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय, संसार में व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित रहती है Etc etc... Kash Aap Ne jo likha wo phir se sach ho jaye.... Wo beete hue din laut aaye. Bahut khoob ehsas.100+++

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