माटी का पुतला बना Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

माटी का पुतला बना

माटी का पुतला बना,
माटी में मिट जाय;
तब मानुष तन में,
क्यों न मन को मनके/मन को मिलाय।

Tuesday, August 22, 2017
Topic(s) of this poem: love
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