ये कौन? Poem by C. P. Sharma

ये कौन?

ये कौन?

विचित्र चित्रकार है
निराकार निर्विकार है
रंगी छवि अपार है
ये कौन कलाकार है

अलख अपार सार है
सर्वश्व में विस्तार है
ये गीत में ये प्रीत में
ये संसार का अत्तार है

इस के स्वारों में संगीत
इस के होठों पे गीत
मस्त नयन भरी प्रीत
वियोग इस की रीत

उम्रभर ये साथ रहे
फिर भी लगे दूर
जब मिले तो दिल में
फूटें लाडू मोतिचूर

ये कौन?
Tuesday, October 10, 2017
Topic(s) of this poem: artistic work,body,spirit
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C. P. Sharma

C. P. Sharma

Bissau, Rajasthan
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