रात को गया गली में घूमने, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

रात को गया गली में घूमने,

रात को गया गली में घूमने,
चाँद भी आसमाँ उतर आया था।
छत पर जुटे चँदा की सुन्दरता देख,
मन ही मन बहुत घबड़ाया था।।
समझ आ गया तब उसको,
अब बच्चे मामा कह क्यों न बुलाते हैं।
जब हर घर में ही चाँद बसता,
'नवीन'' नभ ओर नहीं निहारते हैं।।

Friday, October 27, 2017
Topic(s) of this poem: love
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